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Hindi Viyakaran Lesson - Avayav


अव्यय के भेद

अव्यय निम्नलिखित चार प्रकार के होते है -
(1) क्रियाविशेषण (Adverb)
(2)संबंधबोधक (Preposition)
(3)समुच्चयबोधक (Conjunction)
(4)विस्मयादिबोधक (Interjection)

(1) क्रियाविशेषण :-
जिन शब्दों से क्रिया, विशेषण या दूसरे क्रियाविशेषण की विशेषता प्रकट हो, उन्हें 'क्रियाविशेषण' कहते है।
दूसरे शब्दो में- जो शब्द क्रिया की विशेषता बतलाते है, उन्हें क्रिया विशेषण कहा जाता है।

जैसे- राम धीरे-धीरे टहलता है; राम वहाँ टहलता है; राम अभी टहलता है।
इन वाक्यों में 'धीरे-धीरे', 'वहाँ' और 'अभी' राम के 'टहलने' (क्रिया) की विशेषता बतलाते हैं। ये क्रियाविशेषण अविकारी विशेषण भी कहलाते हैं। इसके अतिरिक्त, क्रियाविशेषण दूसरे क्रियाविशेषण की भी विशेषता बताता हैं।
वह बहुत धीरे चलता है। इस वाक्य में 'बहुत' क्रियाविशेषण है; क्योंकि यह दूसरे क्रियाविशेषण 'धीरे' की विशेषता बतलाता है।

क्रिया विशेषण के प्रकार
(1) प्रयोग के अनुसार- (i) साधारण (ii) संयोजक (iii) अनुबद्ध
(2) रूप के अनुसार- (i) मूल क्रियाविशेषण (ii) यौगिक क्रियाविशेषण (iii) स्थानीय क्रियाविशेषण
(3) अर्थ के अनुसार- (i) परिमाणवाचक (ii) रीतिवाचक

(1) 'प्रयोग' के अनुसार क्रियाविशेषण के तीन भेद

(i) साधारण क्रियाविशेषण- जिन क्रियाविशेषणों का प्रयोग किसी वाक्य में स्वतन्त्र होता हैं, उन्हें 'साधारण क्रियाविशेषण' कहा जाता हैं।
जैसे- हाय! अब मैं क्या करूँ? बेटा, जल्दी आओ। अरे ! साँप कहाँ गया ?

(ii) संयोजक क्रियाविशेषण- जिन क्रियाविशेषणों का सम्बन्ध किसी उपवाक्य से रहता है, उन्हें ' संयोजक क्रियाविशेषण' कहा जाता हैं।
जैसे- जब रोहिताश्र्व ही नहीं, तो मैं ही जीकर क्या करूँगी ! जहाँ अभी समुद्र हैं, वहाँ किसी समय जंगल था।

(iii) अनुबद्ध क्रियाविशेषण- जिन क्रियाविशेषणों के प्रयोग अवधारण (निश्र्चय) के लिए किसी भी शब्दभेद के साथ होता हो, उन्हें 'अनुबद्ध क्रियाविशेषण' कहा जाता है।
जैसे- यह तो किसी ने धोखा ही दिया है। मैंने उसे देखा तक नहीं।

(2) रूप के अनुसार क्रियाविशेषण के तीन भेद

(i) मूल क्रियाविशेषण- ऐसे क्रियाविशेषण, जो किसी दूसरे शब्दों के मेल से नहीं बनते, 'मूल क्रियाविशेषण' कहलाते हैं।
जैसे- ठीक, दूर, अचानक, फिर, नहीं।

(ii) यौगिक क्रियाविशेषण- ऐसे क्रियाविशेषण,जो किसी दूसरे शब्द में प्रत्यय या पद जोड़ने पर बनते हैं, 'यौगिक क्रियाविशेषण' कहलाते हैं।
जैसे- मन से, जिससे, चुपके से, भूल से, देखते हुए, यहाँ तक, झट से, वहाँ पर। यौगिक क्रियाविशेषण संज्ञा, सर्वनाम, विशेषण, धातु और अव्यय के मेल से बनते हैं।

यौगिक क्रियाविशेषण नीचे लिखे शब्दों के मेल से बनते हैं-
(i) संज्ञाओं की द्विरुक्ति से- घर-घर, घड़ी-घड़ी, बीच-बीच, हाथों-हाथ।
(ii) दो भित्र संज्ञाओं के मेल से- दिन-रात, साँझ-सबेरे, घर-बाहर, देश-विदेश।
(iii) विशेषणों की द्विरुक्ति से- एक-एक, ठीक-ठीक, साफ-साफ।
(iv) क्रियाविशेषणों की द्विरुक्ति से- धीरे-धीरे, जहाँ-तहाँ, कब-कब, कहाँ-कहाँ।
(v) दो क्रियाविशेषणों के मेल से- जहाँ-तहाँ, जहाँ-कहीं, जब-तब, जब-कभी, कल-परसों, आस-पास।
(vi) दो भित्र या समान क्रियाविशेषणों के बीच '' लगाने से- कभी-न-कभी, कुछ-न-कुछ।
(vii) अनुकरण वाचक शब्दों की द्विरुक्ति से- पटपट, तड़तड़, सटासट, धड़ाधड़।
(viii) संज्ञा और विशेषण के योग से- एक साथ, एक बार, दो बार।
(ix) अव्य य और दूसरे शब्दों के मेल से- प्रतिदिन, यथाक्रम, अनजाने, आजन्म।
(x) पूर्वकालिक कृदन्त और विशेषण के मेल से- विशेषकर, बहुतकर, मुख़्यकर, एक-एककर।

(iii) स्थानीय क्रियाविशेषण- ऐसे क्रियाविशेषण, जो बिना रूपान्तर के किसी विशेष स्थान में आते हैं, 'स्थानीय क्रियाविशेषण' कहलाते हैं। जैसे- वह अपना सिर पढ़ेगा।





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