कारक (Case) की परिभाषा
संज्ञा या सर्वनाम के जिस रूप से , उसका सम्बंध वाक्य मे प्रयुक्त अन्य शब्दों के साथ ज्ञात होता है उसे कारक कहते है |
अथवा
संज्ञा या सर्वनाम के जिस रूप से वाक्य के अन्य शब्दों के साथ उनका (संज्ञा या सर्वनाम का) सम्बन्ध सूचित हो, उसे (उस रूप को) 'कारक' कहते हैं।
अथवा-
संज्ञा या सर्वनाम के जिस रूप से उनका (संज्ञा या सर्वनाम का) क्रिया से सम्बन्ध सूचित हो, उसे (उस रूप को) 'कारक' कहते हैं।
इन 'परिभाषाओं' का अर्थ यह हुआ कि संज्ञा या सर्वनाम के आगे जब 'ने', 'को', 'से' आदि विभक्तियाँ लगती हैं, तब उनका रूप ही 'कारक' कहलाता हैं।
प्रत्येक वाक्य मे एक क्रिया अवश्य होती है , जो क्रिया मे सहायक या जो किसी शब्द का क्रिया से सम्बन्ध बताये कारक है |
तभी वे वाक्य के अन्य शब्दों से सम्बन्ध रखने योग्य 'पद' होते है और 'पद' की अवस्था में ही वे वाक्य के दूसरे शब्दों से या क्रिया से कोई लगाव रख पाते हैं। 'ने', 'को', 'से' आदि विभित्र विभक्तियाँ विभित्र कारकों की है। इनके लगने पर ही कोई शब्द 'कारकपद' बन पाता है और वाक्य में आने योग्य होता है। 'कारकपद' या 'क्रियापद' बने बिना कोई शब्द वाक्य में बैठने योग्य नहीं होता।
दूसरे शब्दों में- संज्ञा अथवा सर्वनाम को क्रिया से जोड़ने वाले चिह्न अथवा परसर्ग ही कारक कहलाते हैं।
जैसे- सचिन ने क्रिकेट को काफी ऊंचाई पर पंहुचाया |
यंहा पंहुचाना क्रिया का अन्य पदों सचिन , क्रिकेट , ऊंचाई आदि से सम्बन्ध है | वाक्य मे "ने " , ' को ' और 'पर ' का प्रयोग हुआ है | इन्हें कारक चिन्ह , विभक्ति - चिन्ह या परसर्ग कहते है |
उदाहरण-
''रामचन्द्रजी ने खारे जल के समुद्र पर बन्दरों से पुल बँधवा दिया।''
इस वाक्य में 'रामचन्द्रजी ने', 'समुद्र पर', 'बन्दरों से' और 'पुल' संज्ञाओं के रूपान्तर है, जिनके द्वारा इन संज्ञाओं का सम्बन्ध 'बँधवा दिया' क्रिया के साथ सूचित होता है।
उदाहरण-
श्रीराम ने रावण को बाण से मारा
इस वाक्य में प्रत्येक शब्द एक-दूसरे से बँधा है और प्रत्येक शब्द का सम्बन्ध किसी न किसी रूप में क्रिया के साथ है।
यहाँ 'ने' 'को' 'से' शब्दों ने वाक्य में आये अनेक शब्दों का सम्बन्ध क्रिया से जोड़ दिया है। यदि ये शब्द न हो तो शब्दों का क्रिया के साथ तथा आपस में कोई सम्बन्ध नहीं होगा। संज्ञा या सर्वनाम का क्रिया के साथ सम्बन्ध स्थापित करने वाला रूप कारक होता है।
कारक के भेद-
हिन्दी में कारको की संख्या आठ है-
(1)कर्ता कारक (Nominative case)
(2)कर्म कारक (Accusative case)
(3)करण कारक (Instrument case)
(4)सम्प्रदान कारक(Dative case)
(5)अपादान कारक(Ablative case)
(6)सम्बन्ध कारक (Gentive case)
(7)अधिकरण कारक (Locative case)
(8)संबोधन कारक(Vocative case)
कारक के विभक्ति चिन्ह
कारकों की पहचान के चिह्न व लक्षण निम्न प्रकार हैं-
कारक लक्षण कारक-चिह्न
(1)कर्ता जो काम करें ने
(2)कर्म जिस पर क्रिया का फल पड़े को
(3)करण काम करने (क्रिया) का साधन से, के द्वारा
(4)सम्प्रदान जिसके लिए किया की जाए को,के लिए
(5)अपादान जिससे कोई वस्तु अलग हो से (अलग के अर्थ में)
(6) सम्बन्ध जो एक शब्द का दूसरे से सम्बन्ध जोड़े का, की, के, रा, री, रे
(7)अधिकरण जो क्रिया का आधार हो में,पर
(8) सम्बोधन जिससे किसी को पुकारा जाये हे! अरे! हो!
विभक्तियाँ- सभी कारकों की स्पष्टता के लिए संज्ञा या सर्वनाम के आगे जो प्रत्यय लगाये जाते हैं, उन्हें व्याकरण में 'विभक्तियाँ' अथवा 'परसर्ग' कहते हैं।